आज के दौर में जब दुनिया अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, भारत भी सोलर पावर में बड़े कदम उठा रहा है। खास बात यह है कि भारत ने सोलर प्लांट्स को ज़मीन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि पानी के ऊपर भी बिजली बना रहा है! इस आर्टिकल में हम जानेंगे भारत के तीन प्रमुख फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स के बारे में, जो सचमुच “पावर का समंदर” बना रहे हैं।
रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (तेलंगाना) – 100 मेगावाट
तेलंगाना के रामागुंडम स्थित इस 100 मेगावाट क्षमता वाले फ्लोटिंग सोलर प्लांट ने बड़े पैमाने पर सोलर पावर जेनरेशन को नई दिशा दी है। यह NTPC द्वारा स्थापित किया गया है और करीब 450 एकड़ के जलाशय में फैला हुआ है। यह प्लांट मार्च 2022 में 80 मेगावाट की प्रारंभिक क्षमता के साथ चालू किया गया था, और यह जल्द ही 100 मेगावाट की पूरी क्षमता के साथ काम करने लगा।
इस प्लांट की खासियत यह है कि इसमें सभी उपकरण जैसे कि इन्वर्टर, ट्रांसफार्मर और SCADA (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजिशन) सिस्टम फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म्स पर स्थापित किए गए हैं। यह तकनीक भारतीय सोलर इंडस्ट्री में एक नया आयाम जोड़ती है, क्योंकि यह पानी का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए बेहतरीन तरीके से करती है और जमीन की बचत भी होती है।
कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (केरल) – 92 मेगावाट
केरल का कायमकुलम प्लांट भारत के बड़े फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसकी क्षमता 92 मेगावाट है। यह प्लांट एनटीपीसी के राजीव गांधी गैस बेस्ड पावर स्टेशन के पास के जलाशयों पर स्थापित किया गया है। यह परियोजना कठिनाइयों के बावजूद मार्च 2022 में चालू की गई, जिसमें समुद्र की ऊँची लहरों और जल की गहराई जैसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
इस परियोजना में 5 मेगावाट की इन्वर्टर क्षमता भी शामिल है, जिसे एक तैरते हुए प्लेटफॉर्म पर स्थापित किया गया है। यह संयंत्र 350 एकड़ जल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को बिजली देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
पंचेत डैम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (झारखंड और पश्चिम बंगाल) – 75 मेगावाट
लार्सन एंड टुब्रो द्वारा बनाया गया यह नया फ्लोटिंग सोलर प्लांट पंचेत डैम पर स्थित है, जो झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर है। यह 75 मेगावाट क्षमता वाला प्लांट दामोदर वैली कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किए जा रहे “Ultra Mega Renewable Energy Power Park” का हिस्सा है।
इस प्लांट की खास बात यह है कि इसे जलाशयों का उपयोग करके स्थापित किया गया है, जिससे यह पर्यावरण के लिए ज्यादा अनुकूल है और भू-क्षेत्र पर दबाव नहीं पड़ता।
पानी के ऊपर सोलर प्लांट लगाने से क्या लाभ है?
फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स पारंपरिक सोलर प्लांट्स से कई मायनों में बेहतर हैं। यह न केवल जमीन की बचत करते हैं, बल्कि जलाशयों की सतह पर तैरते रहने से पानी का तापमान भी नियंत्रित रहता है, जिससे सोलर पैनल्स की एफिशिएंसी बढ़ जाती है। इसके अलावा, यह प्लांट्स जल वाष्पीकरण को भी कम करते हैं, जो जल संरक्षण में मददगार साबित होते हैं।
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