2025 में हाइड्रोजन Solar Panel से अंधेरे में भी बनेगी बिजली, बैटरी की जरूरत भी होगी खत्म

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तकनीक की दुनिया में हर दिन कुछ नया और रोमांचक हो रहा है। अब एक ऐसी क्रांति आने वाली है जो सोलर एनर्जी को एक नए स्तर पर ले जाएगी। 2025 में हाइड्रोजन सोलर पैनल (Hydrogen Solar Panel) के जरिए अब अंधेरे में भी बिजली बनाई जा सकेगी। बैटरी का झंझट भी खत्म हो जाएगा और बिजली स्टोरेज की समस्या का हल मिल जाएगा। आइए, इस टेक्नोलॉजी को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि यह कैसे हमारे जीवन को बदलने वाली है।

Hydrogen solar panel price in india

हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है और कैसे काम करते हैं? 

सोलर पैनल्स का इस्तेमाल अभी तक सूरज की रोशनी से बिजली बनाने के लिए होता है। लेकिन जब सूरज ढल जाता है या बादल छा जाते हैं, तो पैनल्स की एफिशियंसी घट जाती है। हाइड्रोजन सोलर पैनल इस समस्या का हल है। हाइड्रोजन सोलर पैनल्स पारंपरिक सोलर पैनल्स से एक कदम आगे हैं। यह पैनल्स सूर्य की रोशनी का उपयोग करके न केवल बिजली उत्पन्न करते हैं, बल्कि हवा में मौजूद नमी से पानी को अवशोषित करके उसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करते हैं। 

दिन के समय, यह पैनल्स सूर्य की ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करते हैं, जो घर में उपयोग हो जाती है साथ ही यह पैनल्स हाइड्रोजन गैस का उत्पादन भी करते हैं। इस हाइड्रोजन को स्टोर कर लेते है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहते है यानी की इस गैस से आप बिजली बना सकते है, जो की रात के समय उपयोग में आती है। रात में, संग्रहीत हाइड्रोजन को फ्यूल सेल्स के माध्यम से पुनः बिजली में परिवर्तित किया जाता है, जिससे 24 घंटे बिजली की आपूर्ति संभव होती है। इसके अलावा इस हाइड्रोजन गैस से सभी गाड़िया जैसे कार, बस, ट्रक आदि भी चला सकते है।   

बैटरी की जरूरत क्यों नहीं पड़ेगी? 

अभी के सोलर सिस्टम में बिजली स्टोर करने के लिए भारी-भरकम बैटरी का इस्तेमाल होता है। लेकिन हाइड्रोजन सोलर पैनल में पानी को इलेक्ट्रोलिसिस प्रोसेस के जरिए हाइड्रोजन गैस में बदला जाता है। हाइड्रोजन गैस का भंडारण आसान है और इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। जब जरूरत हो, तो हाइड्रोजन को फ्यूल सेल के जरिए फिर से बिजली में बदला जा सकता है। इससे बैटरी का झंझट खत्म हो जाएगा और बिजली स्टोरेज भी सस्ती और टिकाऊ हो जाएगी।

भारत में हाइड्रोजन सोलर पैनल्स का भविष्य

भारत सरकार ने 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन नीति की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक जीवाश्म ईंधनों को हाइड्रोजन से बदलना है। इससे भारत ग्रीन हाइड्रोजन का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बन सकता है। वर्तमान में, NTPC, रिलायंस इंडस्ट्रीज, L&T, गेल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और अडानी ग्रुप जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियां हाइड्रोजन सोलर पैनल्स के विकास पर कार्य कर रही हैं।

कीमत और उपलब्धता

वर्तमान में, हाइड्रोजन सोलर पैनल्स की कीमत लगभग 3,00,000 रुपये से 6,00,000 रुपये प्रति किलोवाट तक हो सकती है। हालांकि, भारतीय कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने के बाद, 2035 तक इनकी कीमत 1,00,000 रुपये प्रति किलोवाट तक होने की उम्मीद है। यह तकनीक 2026 तक बाजार में उपलब्ध हो सकती है।

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