आजकल सोलर एनर्जी का उपयोग काफी लोकप्रिय हो रहा है और इसकी वजह एफिशिएंसी और लॉन्ग टर्म सेविंग्स है। खासकर ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम को लोग अपने घरों और बिज़नेस में बड़ी संख्या में लगवा रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रात में जब सूरज नहीं होता, तब ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम से बिजली कैसे मिलती है? आइए जानते हैं पूरी प्रक्रिया और कुछ जरूरी बातें।
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम क्या है?
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम वह सिस्टम होता है जो सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली को सीधे ग्रिड (बिजली सप्लाई नेटवर्क) में भेजता है। इसका मुख्य फायदा यह होता है कि अगर आपके सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली आपकी ज़रूरत से ज़्यादा है, तो वह बिजली ग्रिड में जा सकती है और आपको इसके बदले क्रेडिट मिलता है। इसी तरह, अगर आपका सिस्टम कम बिजली पैदा करता है या रात में बिजली नहीं बन रही होती है, तो आप ग्रिड से बिजली खींच सकते हैं।
रात में बिजली कैसे मिलती है?
जब सूरज निकलता है, सोलर पैनल दिन के दौरान बिजली उत्पन्न करते हैं, लेकिन रात के समय सोलर पैनल काम नहीं करते, क्योंकि उन्हें सूरज की रोशनी की जरूरत होती है। तो रात में क्या होता है? आइए, इसे तीन आसान पॉइंट्स में समझते हैं:
- दिन में उत्पन्न बिजली का उपयोग: दिन के दौरान आपके सोलर पैनल से जो भी बिजली उत्पन्न होती है, उसका इस्तेमाल आप तुरंत कर सकते हैं। अगर उस समय आपकी ज़रूरत से ज़्यादा बिजली उत्पन्न हो रही है, तो यह बिजली आपके स्थानीय बिजली ग्रिड को भेज दी जाती है।
- नेट मीटरिंग का लाभ: अधिकांश ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम में नेट मीटरिंग का फीचर होता है। इसमें जब आप अपने सोलर पैनल से अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेजते हैं, तो आपको उसका क्रेडिट मिलता है। यह क्रेडिट बाद में इस्तेमाल हो सकता है, जैसे कि रात के समय जब आपके सोलर पैनल बिजली उत्पन्न नहीं कर रहे होते हैं। इसका मतलब है कि रात में आप उस ग्रिड से बिजली लेते हैं जिसे आपने दिन में क्रेडिट के रूप में जमा किया था।
- ग्रिड से कनेक्शन: रात के समय आपके घर की बिजली सीधे ग्रिड से आती है। अगर आपके पास कोई बैटरी स्टोरेज सिस्टम नहीं है, तो आपके सोलर पैनल से जुड़ा सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि ग्रिड से आपको आवश्यक बिजली मिले।
नेट मीटरिंग कैसे काम करता है?
नेट मीटरिंग एक ऐसा सिस्टम है जो आपको दिन में उत्पन्न अतिरिक्त सोलर ऊर्जा के बदले ग्रिड से बिजली लेने की अनुमति देता है। चलिए इसे एक छोटे उदाहरण से समझते हैं:
समय | सोलर पैनल की बिजली उत्पादन (kWh) | बिजली की ज़रूरत (kWh) | अतिरिक्त बिजली (kWh) | नेट मीटरिंग क्रेडिट (kWh) |
दिन (सुबह 10 बजे) | 10 | 8 | 2 | +2 |
रात (रात 10 बजे) | 0 | 5 | 0 | -5 |
ऊपर दिए गए उदाहरण में, दिन के समय आपने 10 kWh बिजली उत्पन्न की, लेकिन आपको 8 kWh की ही जरूरत थी, तो आपके पास 2 kWh अतिरिक्त हो गई। इसे आप ग्रिड में भेज देते हैं और इसका क्रेडिट आपको मिल जाता है। रात में जब आपके सोलर पैनल बिजली नहीं बना रहे होते, तब आप उस 2 kWh क्रेडिट को इस्तेमाल कर सकते हैं और बाकी की बिजली सीधे ग्रिड से ले सकते हैं। इस तरह, आपका बिल कम हो जाता है, क्योंकि आपने पहले से बिजली का क्रेडिट जमा किया था।
क्या बैकअप के लिए बैटरी जरूरी है?
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम में आमतौर पर बैटरी की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि ग्रिड ही आपका बैकअप सिस्टम है। लेकिन अगर आप अपने सिस्टम को अधिक स्वतंत्र बनाना चाहते हैं या किसी वजह से आपका ग्रिड कनेक्शन मजबूत नहीं है, तो आप बैटरी स्टोरेज भी जोड़ सकते हैं। हालांकि, बैटरी सिस्टम की कीमत थोड़ी ज्यादा होती है, और इसमें रखरखाव की भी जरूरत होती है।
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मुझे कम से कम पांच किलो वाट का अनग्रिड सोलर पैनल लगाना है कितना खर्च आएगा और सपसीडी कितना मिलेगा। साथ ही लगाने केलिए कितना स्क्वायर फीट जगह चाहिए।सथ ही भीजीट करने का क्या चार्ज है।