क्या आप सोच सकते हैं कि आपके कमरे की लाइट से ही आपके गैजेट्स चार्ज हो जाएं? या फिर सुपरमार्केट में रखे प्रोडक्ट्स के इलेक्ट्रॉनिक लेबल्स बिना बैटरी के काम करें? यही कमाल करने वाली हैं परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स। ऑस्ट्रेलियाई कंपनी Halocell Energy ने इस टेक्नोलॉजी के साथ सोलर एनर्जी की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने फ्लेक्सिबल 7 सेंटीमीटर की परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स लॉन्च करने की तैयारी की है, जो छोटी बैटरियों की जगह ले सकती हैं। और खास बात यह है कि यह स्ट्रिप्स घर के अंदर भी बिजली पैदा करने में सक्षम हैं!

परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स: इनडोर उपयोग के लिए एक क्रांति
परोवस्काइट सोलर टेक्नोलॉजी का नाम सुनने में नया लग सकता है, लेकिन यह आने वाले समय की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी बनने वाली है। इसे खासतौर पर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह घर के अन्दर की लाइटिंग जैसे LED, फ्लोरोसेंट और यहां तक कि धूप या बादलों के मौसम में भी बेहतरीन ढंग से काम कर सके। जहां आमतौर पर सोलर पैनल्स सूरज की रोशनी पर निर्भर होते हैं, वहीं यह सोलर स्ट्रिप्स कमरे के अंदर की कृत्रिम रोशनी से भी बिजली बना सकती हैं।
आप सोच रहे होंगे, इस टेक्नोलॉजी से फायदा किसे होगा? सबसे पहले तो रिटेल सेक्टर में इसका बड़ा उपयोग हो सकता है। आजकल स्टोर्स में डिजिटल शेल्फ लेबल्स का चलन बढ़ गया है। इन लेबल्स को बैटरियों से पावर दी जाती है, जो महंगी भी होती हैं और जल्दी खत्म भी हो जाती हैं। ऐसे में Halocell Energy की यह परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही हैं, जिससे बैटरियों की ज़रूरत खत्म हो जाएगी। इन स्ट्रिप्स का उपयोग करके स्टोर्स पावर एफिशिएंट बन सकते हैं और खर्च भी कम होगा।
CEO पॉल मूनि के विचार
Halocell Energy के CEO पॉल मूनि ने इस नई टेक्नोलॉजी पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह सोलर स्ट्रिप्स किसी भी लाइटिंग के हिसाब से ऑप्टिमाइज़ की जा सकती हैं, चाहे वह वार्म LED हो, कूल LED हो या फिर फ्लोरोसेंट लाइट्स मतलब किसी भी light से यह स्ट्रिप्स बिजली बनाने लग जाती है। यह परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स हर स्थिति में बखूबी काम करेंगी। उन्होंने pv magazine से बातचीत में बताया, “अगर आप किसी सुपरमार्केट के प्रोड्यूस सेक्शन में जाएंगे, तो वहाँ के इलेक्ट्रॉनिक शेल्फ-लेबल्स अब पेपर के नहीं रहे। ऐसे स्थानों पर Halocell की यह टेक्नोलॉजी शानदार तरीके से काम करेगी।”
मूनि ने आगे बताया कि इस टेक्नोलॉजी का प्रोडक्शन प्रोसेस भी बेहद सरल है। किसी भी प्रोडक्शन लाइन को बदलने की जरूरत नहीं है, बस प्रोडक्शन के दौरान इंक को बदलकर यह काम हो सकता है। इससे न केवल मैन्युफैक्चरिंग आसान हो जाती है, बल्कि यह स्ट्रिप्स कई प्रकार के केमिकल्स के साथ मिलकर और भी ज्यादा एफिशिएंट बन जाती हैं।
पर्यावरण के लिए वरदान
इन परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पर्यावरण के लिहाज से बेहद सस्टेनेबल हैं। बैटरियों को बार-बार बदलने की जरूरत नहीं होगी, जिससे ई-वेस्ट में कमी आएगी। साथ ही, यह टेक्नोलॉजी बिजली की खपत को भी कम करेगी, जिससे पर्यावरण को फायदा होगा।
इसका मतलब है कि आने वाले समय में हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी इसी टेक्नोलॉजी से पावर होंगे। चाहे वो आपके फोन की चार्जिंग हो, स्मार्ट होम डिवाइसेस, या फिर लैपटॉप – सब कुछ इस सोलर एनर्जी से चल सकेगा। कल्पना कीजिए, घर के अंदर बिना किसी बड़ी सेटअप के ही बिजली पैदा हो रही है!
भविष्य में कई और संभावनाएं
यह टेक्नोलॉजी सिर्फ रिटेल सेक्टर (दुकाने) तक सीमित नहीं है। इसका उपयोग कई और जगहों पर भी किया जा सकता है। अंतरिक्ष में, जहां सूरज की रोशनी हमेशा नहीं मिलती, वहां भी यह परोवस्काइट सोलर स्ट्रिप्स बेहतरीन तरीके से काम कर सकती हैं। इसके अलावा, क्लाउडी क्लाइमेट में जहां धूप की कमी होती है, वहां भी यह तकनीक एक उपयोगी समाधान साबित हो सकती है।
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