भारत सरकार की पीएम सुर्यघर योजना ने घरों में सोलर पैनल लगाने की प्रक्रिया को काफी आसान और सस्ती बना दिया है। इस योजना के तहत, आप सोलर पैनल लगवाकर न केवल अपनी बिजली की खपत को कम कर सकते हैं, बल्कि भविष्य में बिजली के बिल से भी छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वेंडर (डीलर) से सोलर पैनल इंस्टॉल कराना होगा। आइए जानते हैं इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से।
पीएम सुर्यघर योजना के तहत वेंडर का चुनाव कैसे करें?
पीएम सुर्यघर योजना के तहत सबसे पहले आपको सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वेंडर का चयन करना होगा। वेंडर (या डीलर) की लिस्ट आपको पीएम सुर्यघर योजना के पोर्टल पर मिल जाएगी, जहां आप अपने जिले के अनुसार वेंडर को चुन सकते हैं। इस लिस्ट में प्रत्येक वेंडर की ईमेल आईडी भी दी होती है, जिससे आप ईमेल के माध्यम से उनसे संपर्क कर सकते हैं।
इसके अलावा, आपको यह भी तय करना होगा कि आप किस कंपनी का सोलर पैनल इंस्टॉल कराना चाहते हैं। अपने वेंडर को बताएं कि आपको किस कंपनी के पैनल की जरूरत है, ताकि वह आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सर्विस प्रदान कर सके। वेंडर आपके घर की छत का सर्वे करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कितने किलोवाट का सोलर सिस्टम आपके लिए सही रहेगा।
सोलर पैनल इंस्टॉल करने की प्रक्रिया
वेंडर से संपर्क करने के बाद, सबसे पहला कदम होता है घर की छत का सर्वे। यह सर्वे इसलिए किया जाता है ताकि वेंडर सही जगह पर सोलर पैनल इंस्टॉल कर सके और आप अधिकतम सोलर एनर्जी का उपयोग कर सकें। सर्वे के बाद, वेंडर सोलर पैनल, इन्वर्टर और अन्य जरूरी उपकरणों के साथ इंस्टॉल करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में 2-3 दिन का समय लगता है। इसमें सोलर पैनल के साथ इन्वर्टर, वायरिंग और कनेक्शन का काम शामिल होता है। एक बार सोलर पैनल इंस्टॉल हो जाने के बाद, आपको कुल लागत का भुगतान करना होगा।
भुगतान और कैंसिलेशन चेक की प्रक्रिया
जब सोलर पैनल इंस्टॉल हो जाता है, तब आपको सोलर पैनल की कुल लागत (जिसमें पैनल, इन्वर्टर, लेबर कोस्ट आदि शामिल हैं) का भुगतान वेंडर को करना होता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि भुगतान करने के बाद वेंडर आपको कैंसिलेशन चेक देगा।
कैंसिलेशन चेक का क्या मतलब होता है?
जब आप वेंडर को पूरी पेमेंट कर देते हैं, तो बदले में वेंडर आपको एक कैंसिलेशन चेक देता है। इस चेक का महत्व तब होता है जब आप अपनी सब्सिडी क्लेम करने जाते हैं। कैंसिलेशन चेक असल में उस अमाउंट का प्रूफ होता है, जो आपने वेंडर को पेमेंट किया है। यह चेक आपके द्वारा किए गए भुगतान की पुष्टि करता है और इसे सब्सिडी की राशि क्लेम करते समय उपयोग किया जाता है। यह सरकार को यह बताने में मदद करता है कि आपने वेंडर को पूरी पेमेंट कर दी है और अब आप सब्सिडी के हकदार हैं।
नेट मीटर की आवश्यकता और उसकी कोस्ट
सोलर पैनल इंस्टालेशन के बाद, आपको नेट मीटर के लिए अप्लाई करना होता है। नेट मीटर एक स्मार्ट मीटर होता है जो सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न की गई अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने में मदद करता है। इसके द्वारा आप ग्रिड से कनेक्ट रहते हैं और अगर जरूरत से ज्यादा बिजली उत्पन्न होती है, तो उसे ग्रिड में भेज सकते हैं।
नेट मीटर की कोस्ट भी आपको खुद वहन करनी होती है। वेंडर आपको नेट मीटर इंस्टालेशन के लिए मार्गदर्शन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आपका सिस्टम पूरी तरह से ग्रिड से कनेक्ट हो गया है।
सब्सिडी की राशि कितने दिन में मिलती है?
सब्सिडी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप सोलर पैनल इंस्टाल करने की लागत का एक बड़ा हिस्सा वापस पा सकते हैं। सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की राशि 30-60 दिनों के भीतर आपके बैंक खाते में आ जाती है। इसके लिए आपको सभी दस्तावेज और प्रोसेस को सही तरीके से पूरा करना होता है। आपका वेंडर इस पूरी प्रक्रिया में आपकी मदद करता है ताकि सब्सिडी लेने में कोई समस्या न हो।
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