भारत की अग्रणी विंड एनर्जी सॉल्यूशंस कंपनी, सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड, एक बार फिर सुर्खियों में है। सोमवार, 9 जून 2025 को हुए एक बड़े ब्लॉक डील में कंपनी के प्रमोटर्स ने 19.8 करोड़ शेयर्स बेचे, जिसकी कुल कीमत ₹1,300 करोड़ से अधिक रही। इस डील में शेयर्स की औसत कीमत ₹66.05 प्रति शेयर थी। इस ट्रांजैक्शन ने न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक फंड्स का भी ध्यान खींचा है, जिसमें गोल्डमैन सच्स और मोतीलाल ओसवाल जैसे बड़े नाम शामिल हैं। आइए, इस डील के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों को समझते हैं।

ब्लॉक डील का विवरण
इस ब्लॉक डील में सुजलॉन के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी का 1.4% हिस्सा बेचा। तांती होल्डिंग्स ने 6.69 करोड़ शेयर्स, रछोदभाई तांती ने 5.08 करोड़, विनोद तांती ने 5.28 करोड़ और रामभाबेन तांती ने 2.75 करोड़ शेयर्स बेचे। इस डील में कई बड़े फंड्स ने हिस्सा लिया, जिनमें शामिल हैं:
- गोल्डमैन सच्स (सिंगापुर पीटीई): 15.14 लाख शेयर्स
- गोल्डमैन सच्स एशिया इक्विटी पोर्टफोलियो: 5.83 करोड़ शेयर्स
- मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड: 4.54 करोड़ शेयर्स
- आदित्य बिरला सन लाइफ म्यूचुअल फंड: 3.03 करोड़ शेयर्स
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस: 1.69 करोड़ शेयर्स
- सुंदरम म्यूचुअल फंड: 75.7 लाख शेयर्स
इसके अलावा, बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस, इन्वेस्को एमएफ, और सोसाइटी जनरल जैसे अन्य फंड्स ने भी इस डील में हिस्सा लिया। यह डील न केवल अपने आकार के कारण चर्चा में है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसमें बड़े वैश्विक और घरेलू निवेशकों की भागीदारी दिखती है।
सुजलॉन एनर्जी: निवेशकों की पहली पसंद क्यों?
सुजलॉन एनर्जी भारत की रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में एक मजबूत खिलाड़ी है। कंपनी की विंड टर्बाइन टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी सॉल्यूशंस ने इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया है। मार्च 2025 तक, कंपनी में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) की कुल हिस्सेदारी 23.03% थी, जबकि म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी 4.17% थी। इसके अलावा, 56 लाख से अधिक छोटे रिटेल निवेशक, जिनके पास ₹2 लाख तक की अधिकृत शेयर पूंजी है, कंपनी में 25% हिस्सेदारी रखते हैं। यह दर्शाता है कि सुजलॉन में निवेशकों का विश्वास व्यापक और विविध है।
ब्लॉक डील के पीछे का गेम
इस ब्लॉक डील ने कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेचा? और क्यों गोल्डमैन सच्स और मोतीलाल ओसवाल जैसे बड़े फंड्स ने इस मौके को भुनाया? विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील सुजलॉन की भविष्य की योजनाओं और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भारत की बढ़ती मांग का संकेत हो सकती है।
भारत सरकार का 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य सुजलॉन जैसे खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा अवसर है। कंपनी की हालिया परियोजनाएं और तकनीकी नवाचार इसे इस दौड़ में आगे रखते हैं। गोल्डमैन सच्स जैसे वैश्विक फंड्स का निवेश इस बात का संकेत है कि वे भारत के ग्रीन एनर्जी मार्केट में दीर्घकालिक संभावनाएं देख रहे हैं।
निवेशकों के लिए क्या है सबक?
यह ब्लॉक डील निवेशकों के लिए कई संदेश देता है। पहला, सुजलॉन एनर्जी में बड़े संस्थागत निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है, जो कंपनी की वित्तीय स्थिरता और विकास की संभावनाओं को दर्शाता है। दूसरा, रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निवेश का यह सही समय हो सकता है, क्योंकि भारत और वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी की मांग तेजी से बढ़ रही है।
हालांकि, छोटे निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। ब्लॉक डील्स अक्सर शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण बनते हैं। मार्च 2025 तक प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 13% से अधिक थी और इस बिक्री के बाद उनकी हिस्सेदारी में कमी आई है। यह भविष्य में कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर प्रभाव डाल सकता है।
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