TOPCon सोलर पैनल बनाएगी Waaree Energies! 50,000 करोड़ के ऑर्डर बुक, इंडिया में मचेगा तहलका

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भारत की टॉप सोलर कंपनियों में से एक Waaree Energies अब TOPCon तकनीक वाली सोलर सेल्स की प्रोडक्शन अप्रैल से शुरू करने जा रही है। कंपनी के CEO अमित पैठणकर ने बताया कि Waaree ने पहले ही Mono-PERC सोलर सेल का ट्रायल प्रोडक्शन शुरू कर दिया है और जल्द ही इसे फुल स्केल पर शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया, “हमारी 1.4 GW की Mono-PERC लाइन लगभग तैयार है और आने वाले दिनों में यह पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी। वहीं, 4 GW की TOPCon सेल लाइन भी अप्रैल-मई तक प्रोडक्शन के लिए तैयार हो जाएगी।”

Waaree Energies to make TOPCon panels

6GW का नया मेगा प्लांट

Waaree Energies को सरकार की Production Linked Incentive (PLI) स्कीम के तहत भी सपोर्ट मिल रहा है। कंपनी ओडिशा में एक नया 6 GW इंटीग्रेटेड सोलर प्लांट लगाने की योजना बना रही है, जो 2027 तक तैयार हो जाएगा। इस प्लांट में इनगोट, वेफर और सेल मैन्युफैक्चरिंग की सुविधा होगी।

इसके अलावा, कंपनी ग्रीन हाइड्रोजन (Electrolyzer), सोलर इन्वर्टर और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी कदम बढ़ा रही है। इन सब प्रोजेक्ट्स से Waaree का बिजनेस तेजी से ग्रो करेगा।

50,000 करोड़ के ऑर्डर, लेकिन भारत में ज्यादा बिक्री

Waaree Energies ने खुलासा किया कि उनके पास इस समय 26.5 GW के ऑर्डर हैं, जिनकी वैल्यू 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। हालांकि, इन ऑर्डर्स में से 55% इंटरनेशनल मार्केट से हैं और 45% भारत से, लेकिन कंपनी की 79% सेल्स भारत में होती हैं।

क्योंकि भारत में रिटेल कस्टमर का ऑर्डर 1-2 महीने में पूरा हो जाता है, जबकि यूटिलिटी प्रोजेक्ट्स के लिए 9-12 महीने लगते हैं। वहीं, अमेरिका और अन्य देशों से आने वाले ऑर्डर्स को पूरा होने में 1-2 साल लग जाते हैं, इसलिए कंपनी की ऑर्डर बुक और सेल्स के बीच गैप रहता है।

अमेरिका में नई फैक्ट्री, लेकिन चैलेंज भी

Waaree ने अमेरिका में भी एक नया सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोला है, लेकिन कंपनी को वहां Inflation Reduction Act (IRA) के बदलावों की वजह से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि, Waaree का मानना है कि उनका बिजनेस बिना किसी बाहरी सपोर्ट के भी सफल हो सकता है।

CEO अमित पैठणकर ने कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा बिज़नेस मॉडल बनाना है जो खुद से टिक सके, बाहरी सपोर्ट पर निर्भर न रहे। अगर IRA जैसी योजनाएं बनी रहती हैं, तो यह हमारे लिए बोनस होगा, लेकिन हम इनके बिना भी सफल होंगे।”

मॉड्यूल कैपेसिटी और एक्चुअल आउटपुट का अंतर

पैठानकर ने एक और दिलचस्प बात बताई। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मैन्युफैक्चरर्स की मॉड्यूल कैपेसिटी और एक्चुअल आउटपुट के बीच एक गैप होता है। उनके मुताबिक, एक्चुअल आउटपुट रेटेड प्रोडक्शन कैपेसिटी का 75-80% ही होता है। इस साल के अंत तक भारत की मॉड्यूल और सेल कैपेसिटी 45-50 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है, जो देश की सौर ऊर्जा क्षमता को और बढ़ाएगी।

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