SECI का बड़ा धमाका! 25 साल की PPA डील के साथ 2 GW सोलर और 1 GW स्टोरेज प्रोजेक्ट का मौका, डेडलाइन नजदीक

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Solar Energy Corporation of India (SECI) ने एक बेहद महत्त्वपूर्ण टेंडर जारी किया है, जो भारत के रिन्यूएबल एनर्जी मिशन को और गति देगा। इस टेंडर के अंतर्गत 2 GW की ग्रिड-कनेक्टेड सोलर परियोजनाएं और 1 GW/4 GWh की एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (ESS) विकसित की जाएंगी। खास बात यह है कि यह प्रोजेक्ट 25 साल की पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) के साथ आएगा, जिससे डेवेलपर्स को लॉन्ग-टर्म स्टेबिलिटी मिलेगी। यह टेंडर इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) से जुड़ा हुआ है और इसमें बोली लगाने की आखिरी तारीख 22 जुलाई 2025 तय की गई है। ऐसे में इच्छुक कंपनियों के पास ज्यादा समय नहीं बचा है और उन्हें तुरंत तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

SECI develops 2 GW solar and 1 GW storage

प्रोजेक्ट की विशेषताएं और स्कोप

इस टेंडर के तहत डेवेलपर्स को BOO (Build-Own-Operate) मॉडल पर प्रोजेक्ट स्थापित करने की अनुमति है, यानी वे अपनी पसंद की जगह पर सोलर प्लांट्स और ESS यूनिट्स लगा सकते हैं। SECI की शर्तों के अनुसार, हर 1 MW सोलर प्रोजेक्ट क्षमता के लिए कम से कम 0.5 MW/2 MWh की स्टोरेज क्षमता होनी अनिवार्य है। डेवेलपर्स चाहे तो ESS खुद बना सकते हैं या किसी थर्ड पार्टी से ESS सप्लाई के लिए टाई-अप कर सकते हैं। इस तरह का फ्लेक्सिबल मॉडल डेवेलपर्स के लिए आकर्षक है, क्योंकि यह उन्हें लागत और ऑपरेशन के विकल्पों में लचीलापन देता है।

बोली की शर्तें और पात्रता

टेंडर में हिस्सा लेने वाले डेवेलपर्स को कम से कम 50 MW और अधिकतम 1 GW तक की क्षमता के लिए बोली लगानी होगी, और यह बोली 10 MW के मल्टीपल में होनी चाहिए। इससे मझोले और बड़े दोनों तरह के डेवेलपर्स को अवसर मिलते हैं। SECI ने यह भी स्पष्ट किया है कि डेवेलपर्स को अपने प्रोजेक्ट की रेटेड क्षमता के अनुसार हर दिन पीक ऑवर्स में 2 MWh प्रति MW ऊर्जा डिलीवर करनी होगी। उदाहरण के लिए, अगर कोई डेवेलपर 100 MW का प्रोजेक्ट बनाता है, तो उसे रोज़ 200 MWh की एनर्जी सप्लाई करनी होगी। यह शर्त ऊर्जा डिलीवरी की विश्वसनीयता और स्टोरेज सिस्टम की भूमिका को दर्शाती है।

डील का फायदा और भविष्य की संभावनाएं

यह टेंडर उन कंपनियों के लिए बेहतरीन मौका है जो रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में दीर्घकालिक निवेश करना चाहती हैं। 25 साल की PPA डील डेवेलपर्स को स्थायी कमाई का अवसर देती है और साथ ही ESS के ज़रिए एनर्जी स्टोरेज का एक्सपर्टीज विकसित करने का मौका भी मिलता है। भारत सरकार द्वारा 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल बेस्ड कैपेसिटी के लक्ष्य को देखते हुए, यह प्रोजेक्ट उसी दिशा में एक ठोस कदम है। साथ ही, ESS का स्केलेबल मॉडल भविष्य में ग्रिड की स्थिरता और ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए बेहद ज़रूरी होगा।

समय सीमा नजदीक, मौका हाथ से न जाने दें

इस टेंडर की सबसे बड़ी बात यह है कि यह एक लॉन्ग-टर्म गारंटीड डील के साथ आता है, जो मौजूदा ऊर्जा बाजार की अनिश्चितताओं के बीच बेहद मूल्यवान है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी अंतिम तिथि 22 जुलाई 2025 है और समय तेजी से निकल रहा है। जिन कंपनियों की नजर ग्रीन एनर्जी में लंबे समय तक बने रहने पर है, उनके लिए यह मौका रणनीतिक रूप से बेहद अहम हो सकता है। यह टेंडर भारत में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम है और अब वक्त है इसका हिस्सा बनने का।

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