भारतीय बिजनेस टायकून गौतम अडानी एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। इस बार मामला गंभीर है, क्योंकि आरोप अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स से जुड़े हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क के प्रॉसिक्यूटर्स ने गौतम अडानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को भारी रिश्वत दी। यह आरोप लगाते हुए कहा गया है कि अडानी और उनके सहयोगियों ने भारतीय अधिकारियों को ₹2000 करोड़ (25 करोड़ डॉलर) की रिश्वत ऑफर की थी। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और इसके प्रभाव।

क्या है मामला?
न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस ने एक बयान में खुलासा किया कि अडानी ग्रुप और उनके कुछ एग्जीक्यूटिव्स ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए रिश्वत देने की योजना बनाई थी। इस आरोप में अडानी ग्रुप की कंपनी ‘अडानी ग्रीन एनर्जी‘ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सागर आर. अडानी और मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ विनीत एस. जैन का नाम भी सामने आया है। अमेरिकी जांच एजेंसियों का दावा है कि अडानी और उनके सहयोगियों ने अरबों डॉलर के सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स को हासिल करने के लिए यह कदम उठाया।
अमेरिकी प्रॉसीक्यूटर्स का क्या कहना है?
अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स के मुताबिक, अडानी ग्रुप के इन्वेस्टर्स को गुमराह करने के लिए झूठे दावे किए गए। उन्होंने अमेरिकी निवेशकों से पैसे जुटाने की कोशिश की और अपनी कथित साजिश को छुपाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिटाने की कोशिश की। इसके अलावा, न्याय विभाग, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) और FBI के प्रतिनिधियों से झूठ बोलकर न्याय में बाधा डालने की भी साजिश रची गई। SEC ने इस मामले में एक अलग सिविल लॉसूट भी दायर किया है।
रिश्वत का उद्देश्य: सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आरोपित रिश्वत का उद्देश्य सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स से जुड़ा हुआ है। गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर ऊर्जा क्षेत्र में बड़े प्रोजेक्ट्स का फायदा उठाने की कोशिश की। इन प्रोजेक्ट्स में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट्स, ग्रीन एनर्जी डील्स और अन्य सौर ऊर्जा संबंधित अनुबंध शामिल थे। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने इस बात की जांच की है कि अडानी ग्रुप ने भारत में सरकारी अधिकारियों को फेवर पाने के लिए भुगतान किया या नहीं।
भारतीय और अमेरिकी बाजारों पर असर
गौतम अडानी पर लगे इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के बॉन्ड्स की कीमतों में गिरावट देखने को मिली। गुरुवार को जारी किए गए बॉन्ड्स में डॉलर के मुकाबले 10 सेंट की गिरावट आई, जो निवेशकों के बीच चिंता का संकेत है। भारतीय बाजारों में भी इस खबर का असर देखने को मिल सकता है, क्योंकि गौतम अडानी भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक हैं और उनके बिजनेस का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
अभी तक अडानी ग्रुप की ओर से इस मामले पर कोई विस्तृत बयान नहीं आया है। लेकिन अडानी समूह हमेशा से अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा है। गौतम अडानी का कहना है कि उनकी कंपनियां कानून का पालन करती हैं और उनके बिजनेस का उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
क्या होगा आगे?
यह मामला केवल भारतीय बाजारों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल सकता है। अमेरिकी कानून के तहत लगे आरोप गंभीर हैं और अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं तो अडानी ग्रुप के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इसके अलावा, भारतीय ऊर्जा सेक्टर में सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
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