Vertical Solar Panel: अब खड़े सोलर पैनल भी बनायेंगे बिजली, खेती के साथ साथ बिजली बना सकेंगे किसान! 

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Ashika Energy Systems ने Next2Sun Germany और Wattkraft India के साथ मिलकर भारत में एक नया सोलर टेक्नोलॉजी का कॉन्सेप्ट लाने का ऐलान किया है। इस पार्टनरशिप की डील हाल ही में गुजरात में हुए Re-Invest 2025 के दौरान साइन की गई। अब तक आपने देखा होगा कि सोलर पैनल लगाने से खेती की ज़मीन का यूज़ नहीं हो पाता था, पर अब ऐसा नहीं होगा! Next2Sun का यह Vertical Solar Panel कॉन्सेप्ट खेती और एनर्जी प्रोडक्शन दोनों को साथ-साथ चलने की सुविधा देता है।

कैसे काम करती है यह वर्टिकल सोलर टेक्नोलॉजी?

Next2Sun का यह नया कॉन्सेप्ट पूरी तरह से खेती-केंद्रित है। वर्टिकल सोलर पैनल्स, जो दोनों तरफ से एनर्जी जनरेट करते हैं, खेतों में वर्टिकल तरीके से लगाए जाएंगे। इसका मतलब है कि खेत में किसान अपनी फसल की पैदावार जारी रख सकते हैं और साथ ही सोलर पावर से एनर्जी भी जनरेट होती रहेगी।

👉 क्या खास है इस टेक्नोलॉजी में?

  • दोनों तरफ से सोलर एनर्जी जनरेट होती है।
  • खेती की ज़मीन का बेहतर उपयोग होता है।
  • किसान अपनी फसल उगाते रह सकते हैं, साथ ही सोलर पैनल्स से कमाई भी होगी!

यह डुअल-यूज़ टेक्नोलॉजी भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है और देश को एनर्जी इंडिपेंडेंस की तरफ एक बड़ा कदम उठाने में मदद करेगी।

किसानों के लिए फायदे की डील 

Yashika Energy Systems के यश किशोरकुमार गुप्ता ने कहा, “हमारी यह पार्टनरशिप उन चिंताओं का समाधान है, जो परंपरागत सोलर इंस्टॉलेशन में ज़मीन के इस्तेमाल को लेकर उठती हैं। अक्सर सोलर पैनल लगाने के लिए कीमती कृषि भूमि का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे खेती प्रभावित होती है। लेकिन Next2Sun की इस वर्टिकल सोलर टेक्नोलॉजी से किसान अपनी खेती भी कर सकते हैं और बिजली भी बना सकते हैं।”

गुप्ता जी ने आगे बताया कि भारत और जर्मनी के सरकारी सहयोग और एग्रीकल्चर एसोसिएशन्स की मदद से हम इस टेक्नोलॉजी को भारत भर में फैलाने की योजना बना रहे हैं। शुरुआती प्रोजेक्ट्स 100 kWp से 500 kWp तक होंगे और यह  अलग-अलग क्षेत्रों में इस टेक्नोलॉजी की उपयोगिता को दिखाएंगे।

जर्मन और भारतीय मंत्रियों ने भी दिखाई गहरी दिलचस्पी

इस MoU (Memorandum of Understanding) के साइनिंग सेरेमनी में Next2Sun के CFO साशा क्राउज़-टंकर, जर्मनी की फेडरल मिनिस्टर फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट स्वेनजा शुल्ज़े और भारत के न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर प्रल्हाद जोशी भी मौजूद थे।

साशा क्राउज़-टंकर ने कहा, “दोनों देशों की सरकारों और कृषि समुदाय के सहयोग से हमें यकीन है कि यह प्रोजेक्ट्स भारत में सतत विकास के लिए एक नया मानक स्थापित करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि इस प्रकार की सोलर टेक्नोलॉजी को देखकर और लोग भी प्रेरित होंगे और यह एनर्जी प्रोडक्शन और ज़मीन के इस्तेमाल के बारे में हमारी सोच को बदल देगा।”

भविष्य के लिए तैयारी – पायलट प्रोजेक्ट्स से देशभर में फैलाएंगे टेक्नोलॉजी

अब बात आती है इस टेक्नोलॉजी के विस्तार की। भारत में पायलट प्रोजेक्ट्स के जरिए इसे पहले कुछ प्रमुख क्षेत्रों में टेस्ट किया जाएगा। जैसे-जैसे यह सफल होगा, इसका स्केल बढ़ाया जाएगा। शुरुआत में छोटे स्तर के प्रोजेक्ट्स (100 kWp से 500 kWp) बनाए जाएंगे, जो अलग-अलग भारतीय राज्यों में स्थापित किए जाएंगे। इसका मकसद है किसानों को दिखाना कि कैसे वो अपनी फसलों की देखभाल के साथ-साथ सोलर एनर्जी से कमाई भी कर सकते हैं।

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