अगर आपको लगता है कि असम सिर्फ चाय और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर है, तो यह खबर आपकी सोच बदल देगी! Hindustan Power, जिसकी कमान चेयरमैन रतुल पुरी संभाल रहे हैं, ने असम सरकार के साथ मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने असम में 620 करोड़ रुपये निवेश करने का फैसला किया है, जिसमें 100 MW का सोलर पावर प्लांट और 100 MW का बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम शामिल है। यह सौदा “Advantage Assam 2.0 इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर समिट” में हुआ, जो गुवाहाटी में आयोजित किया गया था।

क्या है प्लान?
Hindustan Power का लक्ष्य अगले तीन सालों में 5 GW एनर्जी पोर्टफोलियो हासिल करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने असम में 500 करोड़ रुपये सोलर प्लांट पर और 120 करोड़ रुपये बैटरी स्टोरेज सिस्टम पर खर्च करने का फैसला किया है। ये निवेश न सिर्फ असम की ऊर्जा संरचना को मजबूत करेगा, बल्कि 5,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर भी देगा।
रतुल पुरी ने क्या कहा?
Hindustan Power के चेयरमैन रतुल पुरी ने इस सौदे को असम के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने याद दिलाया कि कंपनी ने 2016 में असम का पहला बड़ा सोलर पावर प्लांट बनाया था। उन्होंने कहा, “असम का डायनामिक लैंडस्केप हमें बहुत सारे अवसर देता है। हमें इस राज्य की हरित ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में गर्व हो रहा है।” उन्होंने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा की भी तारीफ की, जिन्होंने राज्य में निवेश के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया है।
इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले समारोह में कई बड़े अधिकारी मौजूद थे। इनमें असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) के चेयरमैन सैयदाइन अब्बासी, पावर (इलेक्ट्रिसिटी) डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी, और APDCL के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश कुमार शामिल थे।
Hindustan Power का ट्रैक रिकॉर्ड
Hindustan Power भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में एक बड़ा नाम है। कंपनी ने भारत का पहला 5 MW सोलर पावर प्लांट बनाया था और एशिया का पहला 30 MW रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट भी उन्हीं के नाम है। इसके अलावा, कंपनी ने जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस में भी कई प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह कंपनी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में ऊर्जा क्रांति का हिस्सा बन रही है।
Hindustan Power का यह कदम न सिर्फ असम बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल है। यह दिखाता है कि कैसे प्राइवेट कंपनियां और सरकार मिलकर देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बना सकती हैं। अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा, तो असम न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के नक्शे पर एक हरित ऊर्जा हब के तौर पर उभरेगा।
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