भारत की टॉप सोलर कंपनियों में से एक Vikram Solar Ltd अब अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने के लिए Battery Energy Storage Systems (BESS) सेगमेंट में एंट्री करने जा रही है। कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ज्ञानेश चौधरी ने इस बात की पुष्टि की है। साथ ही, Vikram Solar ने अपना IPO (Initial Public Offering) लाने के लिए ड्राफ्ट पेपर्स फाइल किए हैं।

एक इंटरव्यू में चौधरी ने बताया कि कंपनी अमेरिका के कोलोराडो में 3 गीगावाट (GW) सोलर सेल और मॉड्यूल फैक्ट्री सेटअप करने का प्लान बना रही है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की Inflation Reduction Act (IRA) पर क्या रुख अपनाते हैं। IRA का उद्देश्य रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन को बूस्ट करना है।
SEZ Amendment Bill: सोलर इंडस्ट्री को क्यों है उम्मीद?
Vikram Solar के लिए सबसे बड़ी उम्मीद SEZ (Special Economic Zone) Amendment Bill से जुड़ी है। यह बिल मौजूदा SEZ फ्रेमवर्क को बदलकर एक नया सिस्टम लाने की योजना बना रहा है। यह 2022 में प्रस्तावित DESH (Development of Enterprises and Service Hubs) Bill का रिप्लेसमेंट होगा।
ज्ञानेश चौधरी का मानना है कि यह बिल न केवल सोलर सेक्टर, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी नई गति देगा। खासकर उन प्लांट्स को, जो SEZ में होने की वजह से पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं।
सोलर इंडस्ट्री के लिए तीन बड़ी चुनौतियां
1. बाजार का निर्माण
भारत में कई योजनाएं शुरू हुई हैं, जैसे कि PM Surya Ghar योजना, जिसने शानदार रिजल्ट दिखाए। लेकिन, Renewable Purchase Obligation (RPO) में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की कमी ने नवीकरणीय ऊर्जा के अनसोल्ड पावर की समस्या को बढ़ा दिया है। जब तक कंज्यूमर्स को RPO को फॉलो करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी।
2. सोलर मैन्युफैक्चरिंग को फाइनेंसिंग की जरूरत
चौधरी ने बताया कि भारत को छोटे-छोटे प्लेयर्स की नहीं, बल्कि बड़े लेवल पर काम करने वाली कंपनियों की जरूरत है। उनकी राय में, 200 कंपनियां जो 500 MW की क्षमता रखती हैं, उससे बेहतर 5-10 कंपनियां हों जिनकी 30 GW क्षमता हो। इसके लिए, मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े पूरे इकोसिस्टम को, जिसमें लॉजिस्टिक्स भी शामिल है, सुधारने की जरूरत है।
3. पॉलिसी सपोर्ट
सरकार को नई ऊर्जा और रिन्यूएबल सेक्टर में योजनाओं को सही तरीके से लागू करने पर ध्यान देना होगा। साथ ही, बाजार निर्माण और RPO जैसी पॉलिसीज को मजबूती से लागू करना जरूरी है।
Vikram Solar का बैटरी स्टोरेज सेगमेंट में कदम: क्यों खास है?
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) का इस्तेमाल बिजली को स्टोर करने और जरूरत के समय उपयोग में लाने के लिए किया जाता है। यह टेक्नोलॉजी खासतौर पर ग्रीन एनर्जी के लिए गेम-चेंजर मानी जा रही है। Vikram Solar का इस सेगमेंट में कदम रखना न केवल उनकी ग्रोथ को बढ़ाएगा, बल्कि भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
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